संस्‍कार मन का

संस्‍कार किसे कहते है और इसका मानव जीवन मे क्‍या महत्‍व होता है हम अपने बच्‍चे को पढाई के साथ साथ अपने संस्‍कारो के बारे मे बताते रहे जिससे हमारे बच्‍चो को अपने जीवन का महत्‍वपूर्ण संस्‍कारो के बारे मे अच्‍छे से ज्ञान होता रहे । जिससे बच्‍चा पढाई के साथ-साथ अपने माता पिता के द्वारा दिये गये संस्‍कारो का ज्ञान लेते रहे ।

1/7/20241 मिनट पढ़ें

 

संस्‍कार मन का:                  

आज पूरी दुनिया मे लोग अपने अपने बच्‍चे को अच्‍छे से अच्‍छे स्‍कूलों मे पढाकर उसे एक बडा अफसर या बडा आदमी बनाना चाहता है और इसमे कोई बुराई भी नही है हर माता पिता की इच्‍छा होती है कि उनके बच्‍चे अच्‍छे से पढ लिखकर बडा आदमी बने और अधिकत्‍तर बच्‍चे पढ लिखकर बडे अधिकारी या फिर बडे आदमी बन ही जाते है जो दुनिया मे अपना एक पहचान बनाता है ।

मेरे इस बेबसाइट पर आये सभी लोगो को दिल से प्रणाम करता हूं और सभी लोगो का स्‍वागत करता हूंं ।

                     आज हम यहां पर इंसान के संस्‍कारो के बारे मे बात करेगें । आज कल हर इंसान का यही सपना होता है कि उसका बच्‍चा अच्‍छे से पढ लिखकर एक बडा अधिकारी बन जाय तो हमारा ये जीवन का मकसद पूरा हो जायेगा । इंसान का यह सोच अपने बच्‍चे के लिये प्‍यार होता है । अब कहानी यही से शुरू होती है धीरे-धीरे वक्‍त गुजरता जाता है और एक दिन वह बच्‍चा बडा अधिकारी बन जाता है और अपना काम करने लगता है । इधर माता पिता घर मे अपने बच्‍चे के बारे मे सोचता है कि हमारे बच्‍चे को हमसे दूर हुये  कितने दिन कितने महिने या फिर कितने साल हो गये क्‍या हमारे बच्‍चे को हम लोगो की याद नही आती है जो हम लोगो से मिलने भी नही आता है । तो आप ही जरा सोचिये क्‍या आपने उसे उसके बाल्‍यवस्‍था मे किसी संस्‍कार के बारे मे बताया था आपने तो उसे सिर्फ और सिर्फ इतना बताया कि अच्‍छे से पढाई करो और बडा अधिकारी बनो और वह बच्‍चा वही किया जो आपके द्वारा उसे बताया गया था उस बच्‍चे को लगता होगा कि मेरे माता पिता के द्वारा बतायी गई बातो का मै सही से पालन कर रहा हूं ।

               दोस्‍तो इसमे उस बच्‍चे का दोष नही है इसमे दोष हमारा होता है क्‍योकि यदि कोई माता पिता अपने बाल्‍यवस्‍था मे पढाई लिखाई नही कर पाते है तो उनकी सपने अधूरे रहते है जब उनका बच्‍चा होता है तो लोग अपने बच्‍चे के जरिये अपना सपनो को पूरा करना चा‍हते है इसलिये अपना इच्‍छा अपने बच्‍चे पर जबरदस्‍ती थोप देते है जिससे बच्‍चे का मानसिक स्थिति अलग हो जाती है । इस बीच माता पिता यह भूल जाते है कि बच्‍चा यदि अधिक पढा लिखा रहेगा तो वह उनसे दूर रहेगा और यदि बच्‍चा अधिकारी संस्‍कारी रहेगा तो उसके करीब रहेगा । इंसान अपने जीवन काल मे अपनो का सहारा चाहता है साथ चाहता है और यदि इंसान के इस जीवन काल के अंतिम पडाव मे उसे अपनो का साथ नही मिल पाता है तो उसका कारण होता है उनके संस्‍कार । अब मै यहां पर किसी के संस्‍कार पर कोई आरोप नही लगा रहा हू हर माता पिता अपने बच्‍चो को अच्‍छे संस्‍कार ही देते है कोई उसे बूरा बनने को नही कहता । परन्‍तु यहां पर ध्‍यान देने वाली बात यह होती है कि हम अपने बच्‍चे को पढाई के साथ साथ अपने संस्‍कारो के बारे मे बताते रहे जिससे हमारे बच्‍चो को अपने जीवन का महत्‍वपूर्ण संस्‍कारो के बारे मे अच्‍छे से ज्ञान होता रहे । जिससे बच्‍चा पढाई के साथ-साथ अपने माता पिता के द्वारा दिये गये संस्‍कारो का ज्ञान लेते रहे ।

                 दोस्‍तो आज तो लोग बहुत पढ लिख रहे है पर अपने संस्‍कार को पीछे छोडते जा रहे है इसका परिणाम यह होता है कि जब हम जवान है तो हम अपने माता पिता के बारे मे नही सोचते और जब हमारे बच्‍चे होंगे तो वे हमारे बारे मे नही सोंचेगे । ऐसे कब तक चलता रहेगा । क्‍या इस दुनिया के बच्‍चे अपने माता पिता के बारे सोचना ही नही चाहते ,क्‍या उस माता पिता के लिये उस बेटे के लिये कोई कद्र नही जिसने उसे जन्‍म दिया पाला पढाया लिखाया । अरे आज हमने कई ऐसी घटनायें देखी सूनी है जिसमे यदि किसी आदमी ने किसी दूसरे आदमी का बुरे वक्‍त मे साथ दे दिया तो वह आदमी उसका जीवन भर एहसान मानता है ।

               इसी तरह हर माता पिता ने अपने अपने बच्‍चो को जन्‍म देकर ,पालन पोषण कर, पढा लिखाकर, उसे योग्‍य इंसान बनाता है तो क्‍या उस माता पिता एहसान के काबिल नही होते, बिल्‍कूल होते है और ऐसा तभी होगा जब लोग अपने अपने बच्‍चे को पढाई के साथ साथ अपने संस्‍कार के बारे मे भी सिखायेगा । अपने बच्‍चे को बताना पडेगा कि उसे इस दुनिया मे अपने माता पिता के साथ साथ सभी बडो का आदर करना होगा,अपने से छोटे को प्‍यार देना होगा ,लोगो की मुसीबत के समय सहयोग करना होगा ,हमेशा लोगो की हित के बारे मे कार्य करेगा , बुरे कार्यो से दूर रहेगा जो कार्य परिवार हित, शहर हित, राज्‍य हित, देश हित मे हो वैसे कार्यो से अपने व अपने परिवार का भरण पोषण करना होगा । 

                यदि इंसान अपने माता पिता के द्वारा दिये गये अच्‍छे संस्‍कारो को अपने जीवन मे संधारण कर आगे बढता है तो उसका परिवार हमेशा सुखी रहता है भले ही वह इंसान बडा आदमी नही होता परन्‍तु अच्‍छा इंसान जीवन भर रहता है । आज कई लोग अपने अपने माता पिता को अनाथ आश्रम मे छोड देते है । जिन्‍होने आपको  पढाया लिखाया और बडा आदमी बनाया और वह इंसान पढ लिखकर इतना बडा बन गया कि उसे अपने ही माता पिता छोटे लगने लगे । 

              एक माता अपने बच्‍चे को अपने कमर के पास उठाती है ताकि मां जो देखे वही उसका बच्‍चा भी देख सके परन्‍तु पिता अपने बच्‍चे को अपने कंधे पर उठाता है ताकि उसका बच्‍चा वहा देख सके जिसको उसका पिता स्‍वयं नही देख सकता । इन बातो का मतलब यह होता है कि हमारे लिये हमारे माता पिता क्‍या क्‍या करते है और हम अपने माता पिता के लिये क्‍या क्‍या कर देते है ।

               तो दोस्‍तो आप लोगो से मेरा हाथ जोडकर फिर से यही निवेदन है कि आप चाहे देश मे रहो या विदेश मे ,आप बडे अधिकारी हो या फिर बडे आदमी मगर माता पिता हमेशा माता पिता होता है आपके समय बदलने पर वे नही बदलते है । इसलिये उसे अपने पास रखिये और अपने माता पिता को अपने कामयाबी दिखाइये और उनकी जीवन को सुखमय बनाइये । संस्‍कार मन का इंसान के व्‍यवहार मे दिखता है ।