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मानव जीवन मे भाग्‍य और अच्‍छे कर्म का महत्‍व :-

एक गरीब आदमी पने जीवन मे जीवन जीने के लिये और परिवार का भरण पोषण करने के लिये जितना हो सकता है भरपूर मेहनत करता है इंसान जन्‍म से अपने अपने भाग्‍य लेकर आता है किसी के भाग्‍य मे कुछ और रहता है तो किसी के भाग्‍य मे कुछ और होता है और ये जीवन इंसान के कर्म और भाग्‍य ऐसे दो पहियो के सहारे चलता है यदि इंसान के पास ये दोनो एक साथ नही हुये तो इंसान काफी परेशानीयो का सामना करना पडता है ।

पहली बात :- यदि इंसान अच्‍छा भाग्‍य लेकर आया है और यद‍ि उसके कर्म अच्‍छे नही है तो भाग्‍य भी उसका साथ छोड देता है जिससे इंसान भाग्‍यहीन हो जाता है और उसे परेशानीयो से बचाने वाला कोई नही होता ।

दूसरी बात :-यदि इंसान के पास भाग्‍य का साथ नही है और इंसान अपने शक्ति से अधिक परिश्रम कर रहा है फिर उसके हाथ कुछ नही आता और वह जीवन भर बस यही करते रहता है ।

तीसरी बात :-यदि इंसान के पास ये दोनो हो यानि भाग्‍य अच्‍छा हो और कर्म भी तब इंसान अपने जीवन मे आगे बढने लगता है और अपने मंजिल को प्राप्‍त करता है । इंसान के जीवन मे भाग्‍य और अच्‍छे कर्म ठीक उसी तरह से है जिस प्रकार से आग की गर्मी से भोजन पककर स्‍वादिष्‍ट बनता है ।

महत्‍वपूर्ण बात :-यदि इंसान का कर्म अच्‍छा है भले ही भाग्‍य उसका अच्‍छा नही है जिससे इंसान अपने जीवन मे परेशानीयो का सामना करता है फिर भी यदि इंसान निरंतर अच्‍छे कर्म कर अपना जीवन यापन करता है तो निश्चित ही भाग्‍य बदलने की संभावना रहती है यदि इंसान अच्‍छे भाग्‍य के मालिक है लेकिन उसका कर्म बुरा होने से भाग्‍य भी उस इंसान का साथ छोड देती है ।

इसलिये इंसान को जीवन मे भाग्‍य को अच्‍छा बनाने के लिये अच्‍छे कर्म करने की बहुत आवश्‍यकता होती है कई लोग तो इस दुनिया मे ऐसे भी है जो बोलते है कि भाग्‍य जैसे कोई चीज नही होती है वो उनकी सोच होती है ।