मन का द्वेष

इंसान के मन मे भरा हुआ द्वेष खुद के लिये अच्‍छा नही होता मानव मन एक जटिल भावनाओं का संगम है यहां प्रेम,करूणा,दया,स्‍नेह और उदारता जैसी सकारात्‍मक भावनाओं के साथ क्रोध,ईष्‍या,घृणा और द्वेष जैसी नकारात्‍मक भावनाएं भी विद्यमान रहती है। इन सबमे द्वेष एक ऐसी शक्तिशाली भावना है जो हमारे जीवन पर विनाशकारी प्रभाव डाल सकती है। 

5/2/20241 मिनट पढ़ें

नमस्‍कार दोस्‍तो मै अपने वेबसाईट पर आप सभी का स्‍वागत करता हूं। दोस्‍तो आज का हमारा विषय है मन का द्वेष। दोस्‍तो  इंसानी जीवन मे कभी न कभी ऐसी परिस्थिति बन जाती है जिस पर इंसान के मन मे किसी न किसी बात को लेकर द्वेष भर जाता है जो इंसान के भविष्‍य के लिये अच्‍छा नही होता है। दोस्‍तो आज हम इसी विषय पर बात करने वाले हैं।

दोस्‍तो मुझे ऐसा लगता है कि शायद मेरे कई ऐसे दोस्‍त होंगे जिन्‍हे यह मालूम नही होगा कि द्वेष किसे कहते हैं इसलिये मुझे लगता है कि मन का द्वेष किसे कहते है। इस संबंध मे चर्चा होनी चाहिए । तो चलिये दोस्‍तो --- 

परिचय:-

मानव मन एक जटिल भावनाओं का संगम है यहां प्रेम,करूणा,दया,स्‍नेह और उदारता जैसी सकारात्‍मक भावनाओं के साथ क्रोध,ईष्‍या,घृणा और द्वेष जैसी नकारात्‍मक भावनाएं भी विद्यमान रहती है। इन सबमे द्वेष एक ऐसी शक्तिशाली भावना है जो हमारे जीवन पर विनाशकारी प्रभाव डाल सकती है। 

मन का द्वेष क्‍या है:-

मन का द्वेष किसी व्‍यक्ति या वस्‍तु के प्रति तीव्र नापसंदगी या घृणा की भावना है। यह नकारात्‍मक विचारों,भावनाओं और व्‍यवहारों का एक समूह है जो क्रोध,आक्रोश,और बदला लेने की इच्‍छा से प्रेरित होता है। द्वेष अक्‍सर पूर्वाग्रहों,गलत धारणाओं और भय पर आधारित होता है।

मन का द्वेष के लक्षण :-

  • किसी व्‍यक्ति या वस्‍तु के प्रति नकारात्‍मक विचारों और भावनाओं का बार-बार आना ।

  • क्रोध, आक्रोश और घृणा की तीव्र भावनाएं।

  • उस व्‍यक्ति या वस्‍तु से बचने की इच्‍छा।

  • उस व्‍यक्ति या वस्‍तु को नुकसान पहुंचाने की इच्‍छा।

  • नकारात्‍मकता, निराशा और अवसाद की भावनाएं।

  • शारीरिक स्‍वास्‍थ्‍य समस्‍याएं ,जैसे उच्‍च रक्‍तचाप,हृदय रोग और कमजोर प्रतिरक्षा प्रणाली

मन का द्वेष के प्रभाव:-

मन का द्वेष का हमारे जीवन पर कई नकारात्‍मक प्रभाव पड़ सकते हैं।यह हमारे रिस्‍तो का नुकसान पहुंचा सकता है,हमारे कार्य का प्रभावित कर सकता है और हमारे मानसिक और शारीरिक स्‍वास्‍थ्‍य को खराब कर सकता है।

  • रिस्‍तो पर प्रभाव:-द्वेष हमारे प्रियजनो के साथ हमारे रिस्‍तो को नुकसान पहुंचा सकता है। यह क्रोध,तर्क-वितर्क और संघर्ष का कारण बन सकता है।

  • कार्य पर प्रभाव:-द्वेष हमारे कार्य पर भी नकारात्‍मक प्रभाव डाल सकता है। यह एकाग्रता मे कमी,कम उत्‍पादकता और तनाव का कारण बन सकता है।

  • मानसिक और शारीरिक स्‍वास्‍थ्‍य पर प्रभाव:-द्वेष हमारे मानसिक और शारीरिक स्‍वास्‍थ्‍य के लिलिये भी हानिकारक है यह तनाव ,चिंता,अवसाद और यहां तक की शारीरिक बीमारीयों का कारण बन सकता है।

मन का द्वेष से मुक्ति कैसे प्राप्‍त करें:-

मन का द्वेष से मुक्ति प्राप्‍त करना आसान नही है लेकिन यह असंभव भी नही है। इसके लिये हमें अपने विचारों,भावनाओं और व्‍यवहारों पर ध्‍यान देना होगा और सकारात्‍मक बदलाव लाने का प्रयास करना होगा।

  • अपने मन के द्वेेष को स्‍वीकार करें:-सबसे पहले हमें यह स्‍वीकार करना होगा कि हम अपने मन मे द्वेष रखते हैं। जब तक हम इसे स्‍वीकार नही करते तब तक हम इससे मुक्ति नही पा सकते।

  • मन के द्वेष के मूल कारण को समझे:-हमें यह समझने की कोशिश करनी चाहिए कि हम किसके प्रति मन मे द्वेष रखते हैं और ऐसा क्‍यों करते हैं क्‍या यह किसी गलत धारणा पर आधारित है क्‍या यह किसी भय पर आधारित है।

  • क्षमा का अभ्‍यास करें:-क्षमा करना आसान नही है,लेकिन यह मन का द्वेष से मुक्ति पाने का सबसे महत्‍वपूर्ण तरीका है। हमें उस व्‍यक्ति को क्षमा करने का प्रयास करना चाहिए जिसके प्रति हम द्वेष रखते है,भले ही उसने हमें कितना चोंट पहुंचाई हो।

  • सकारात्‍मक सोंच पर ध्‍यान दें:-हमे अपने विचारो को सकारात्‍मकता की ओर मोड़ने का प्रयास करना चाहिए। जब हम सकारात्‍मक सोचतें है,तो हमारे अंदर नकारात्‍मक भावनाओं के लिये कम जगह होती है।

  • दया और करूणा का अभ्‍यास करें:-हमें दूसरो के प्रति दयालु और करूणामय होने का प्रयास करना चाहिए। जब हम दूसरों के प्रति दयालु होते हैं तो हमारे अंदर द्वेष के लिये कम जगह होती है।  

तो दोस्‍तो मुझे लगता है कि अब आप लोगो को मन का द्वेष के बारे मे और उनके नकारात्‍मक प्रभावों के बारे मे तथा उसके लक्षण और मुक्ति पाने के बारे मे जानकारी मिल गई होगी आशा करता हूं मेरे इस आर्टिकल के माध्‍यम से आप लोगो को कुछ ज्ञान मिला होगा।