
मन की झिझक
मन की झिझक अपने ही काम मे बाधा होता है



इस दुनिया मे कई तरह के लोग रहते है यह बात सभी लोगो का पता है मुझे लगता है कि इसे बताने की कोई आवश्यकता नही है । इस दुनिया मे कई लोग इतने होशियार है फिर भी आज वो इंसान अपनी सारी होशियारी का एक गठरी बांध कर आम जीवन व्यतित कर रहा होगा । इसका मूल कारण है उस इंसान का मन की झिझक जी हां आज हम हर इंसान के अन्दर जो उसके मन मे झिझक होती है उसी के बारे मे बात करेगें।
हम सबसे पहले बात करेंगे इंसान के विद्यार्थी जीवन काल का जहां पर अनेक विद्यार्थी एक लम्बे समय तक साथ रहकर पढाई लिखाई करते है । इस विद्यार्थी जीवन काल मे तीन तरह के लोग होते है पहला वो जो वाचाल (जो बहुत बोलता है ) प्रवृत्ति का होता है , दूसरा वो जो बहुत शर्मिला होता है और तीसरा बहुत ही समान्य होता है ।
इस विद्यार्थी जीवन काल मे पहला विद्यार्थी जो वाचाल (जो बहुत बोलता है )होता है वह क्लास रूम हो या कही भी अपनी मन की बात को बेझिझक करता है भले ही उसके द्वारा कही गई बात पूरा पूरा गलत हो परन्तु वह अपनी बात कहने मे पीछे नही रहता और इसी कारण से वह स्कूल मे हमेशा चर्चा मे रहता है ।
इधर दूसरा विद्यार्थी को जब भी किसी के द्वारा कोई बात बोला या पूछा जाता है तो उसके मन मे हमेशा यही झिझक रहता है कि मै जो इसके बात का जवाब दूंगा वो बात सही होगी या नही इसी संसय के चलते वह सामने वाले से पूछे गये बात या सवाल का जवाब नही दे पाता और फिर उसे कमजोर समझा जाता है ।
इसी प्रकार जब यह दो तरह के व्यक्ति अपने अपने जीवन मे आगे बढना शुरू करते है तो अधिक बोलने वाला व्यक्ति अपने बातो से लोगो पर प्रभाव छोडता है और लोग उसे काफी होशियार और बुद्धिमान समझता है तो दूसरी ओर एक शर्मिला व्यक्ति जिसे सभी चीजो का ज्ञान होता है परन्तु वह अपने मन की झिझक की वजह से लोगो के बातो का पलटवार जवाब नही दे सकता । जबकि वह लोगो की हर सवाल का जवाब और हर बातो का मतलब बता सकता था लेकिन उसके मन की झिझक ने उसे रोक देता है लिहाजा लोग उसे बेवकूफ और कमजोर समझता है ।
इस दुनिया मे अधिकत्तर ऐसा होता है कि जो इंसान अपने मन की झिझक को दूर कर अपना जबान चलाता है वह दुनिया मे कई ऐसे लोग जो हमेशा अपनी बात कहने मे मन मे उठ रहे झिझक के चलते असमर्थ रहते है उन्ही लोगो को अपने साथ रखकर उनका मालिक बन जाता है । इसे हम यहां पर ऐसे भी समझ सकते है जैसे कि सब्जी को काटने का काम चाकू का धार करती है परन्तु दबाव उसके हेंडल के द्वारा बनाया जाता है ।
आज के इस वर्तमान दुनिया मे बहुत पढे लिखे लोग है परन्तु उनमे से कई लोग आज भी पीछे रह जाते है इसका कारण है उसके मन की झिझक जिससे वह सही बात को भी अपने अन्दर से बाहर नही निकाल पाता और उस एक बात की सही जवाब को बाहर नही निकाल पाने की वजह से जीवन भर उस इंसान के अन्दर सवाल जवाब चलता रहता है ।
इंसान को अगर जीवन मे आगे बढना है तो अपने अन्दर की बात को , अपने अन्दर की कला को ,बाहर लाना पडेगा तभी लोग उस इंसान को काम के काबिल समझेंगे और जब लोग तुम्हारे बात को ,तुम्हारे कला को समझेंगे तभी तुम अपने जीवन के रास्ते को सरल बना पाओगे ।
मन की झिझक इंसान को कमजोर करता है इसलिये उसे बाहर निकाले और जमाने के साथ चलना सीखें ।