मुझे परवाह नहीं अपने कल की:मैं हर दिन आखिरी समझ कर जीता हूं

जीवन का पूरी तरह से जीनें का सही तरीका है हर दिन को अंतिम समझकर जीना। इस प्रेरणादायक लेख में जानिए कैसे वर्तमान में जीकर आप अपने जीवन को सार्थक और संतुलित बना सकते हैं।

4/12/20251 मिनट पढ़ें

आखिरी समझ कर जीना
आखिरी समझ कर जीना

मुझे परवाह नहीं अपने कल की:मै हर दिन आखिरी समझ कर जीता हूं

भूमिका-क्‍यों यह सोच जीवन बदल सकती है?

हर किसी कि जीवन में ऐसा समय आता है जब हम या तो बीते हुए कल में उलझे होते हैं या आने वाले कल की चिंता में डूबे रहते हैं। लेकिन एक सच्‍चाई यह है कि ना कल हमारे हाथ में है और ना ही भविष्‍य। ऐसे मे हर दिन को अंतिम समझकर जीना न केवल मानसिक शांति देता है,बल्कि हमें सच्‍चे अर्थों में जीवित बनाता है।

हर दिन को आखिरी समझने का मतलब क्‍या है?

जब हम कहते हैं कि "हर दिन को आखिरी समझ कर जीते हैं", तो इसका अर्थ है कि हम हर पल को पूरी तरह, बिना पछतावे और डर के जीते हैं।

यह सोच हमें क्‍या सिखाती है?

  • आज का महत्‍व समझना।

  • रिश्‍तों को तवज्‍जो देना।

  • छोटे-छोटे पलों में खुशी ढूंंढ़ना।

  • अपनी प्राथमिकताओं को पहचानना।

आज का महत्‍व समझना
आज का महत्‍व समझना

वर्तमान में जीने की शक्ति

"अब" ही एकमात्र सच है। अतीत स्‍मृति है,भविष्‍य कल्‍पना। यदि हम आज को पूरी ऊर्जा,पूरी ईमानदारी और पूरे दिल से जिएं, तो हमारा हर कल स्‍वाभाविक रूप से बेहतर हो जाएगा।

वर्तमान में जीने के लाभ:

  • तनाव कम होता है

  • रिश्‍ते मजबूत होते हैं

  • निर्णय लेने की शक्ति बढ़ती है

  • आत्‍मविश्‍वास विकसित होता है

तनाव कम होना
तनाव कम होना

डर और चिंता से मुक्ति का रास्‍ता

भविष्‍य की चिंता या अतीत का पछतावा हमें अंदर ही अंदर खा जाते हैं। लेकिन जैसे ही हम यह सोच लेते हैं कि "आज ही हमारा आखिरी दिन हो सकता है", हमारा नजरिया पूरी तरह बदल जाता है।

क्‍या होगा अगर कल ना आए?

  • हम माफ करना सीखेंगे

  • अपने मन की बात कह पाएंगे

  • अधूरे सपनों को पूरा करने की कोशिश करेंगे

डर और चिंता से मुक्ति का रास्‍ता
डर और चिंता से मुक्ति का रास्‍ता

प्रेरणादायक व्‍यक्तित्‍व जो इसी सोच से जीते हैं

कई महान व्‍यक्तियों ने भी यही जीवन दर्शन अपनाया है-

  • भगत सिंह, स्‍वामी विवेकानंद, ओशो जैसे लोगों ने वर्तमान को ही सर्वोच्‍च माना।

  • स्‍टीव जॉब्‍स ने कहा था "अगर आज मेरा आखिरी दिन होता, तो क्‍या मै वही करता जो आज करने जा रहा हूं?"

हर दिन को अंतिम समझने के कुछ अभ्‍यास

01.दिन की शुरूआत कृतज्ञता से करें

सुबह उठकर अपने जीवन, स्‍वास्‍थ्‍य, अपनों और अवसरों के लिए आभार व्‍यक्‍त करें।

02.आज के लिए एक मकसद तय करें

सोचिए कि यदि आज आखिरी दिन हो,तो आप क्‍या करना चाहेंगे?

03.अपनों से प्रेमपूर्वक बात करें

हर बातचीत को इस तरह जिएं जैसे वह आखिरी हो।

04.डर को दूर भगाइए

जो काम आप टालते रहे हैं, उसे आज ही करें।

क्‍या हर दिन को आखिरी मानना नकारात्‍मक सोच है?

बिल्‍कुल नहीं। यह सोच जीवन में गहराई लाती है। यह हमें डरानें के लिए नहीं, बल्कि हमें जगाने के लिए है।

फर्क है "मृत्‍यु से डरने" और "मृत्‍यु को समझने" में

जब हम मृत्‍यु को स्‍वीकार करते हैं, तभी हम जीवन को सच्‍चे अर्थों में जी पाते हैं।

जीवन का सच्‍चा अर्थ
जीवन का सच्‍चा अर्थ

निष्‍कर्ष- हर दिन एक उपहार है

मित्र, यह जीवन बहुत ही अनमोल है। हर दिन, हर पल, हर सांस एक वरदान है। अगर हम हर दिन को ऐसे जिएं कि जैसे यह आखिरी हो, तो हमारे पास पछताने का कुछ भी नहीं बचेगा।

जीवन छोटा नहीं है, बस हमें उसे पूरी तरह जीना नहीं आता।

"मुझे परवाह नहीं अपने कल की मै हर दिन आखिरी समझ कर जीता हूं।"- यही मंत्र बनाइए और देखिए चमत्‍कार।

हर दिन एक उपहार
हर दिन एक उपहार