रिस्‍तो की अहमियत

जीवन मे हर रिस्‍तो का अहमियत होता है

मन की बात

                    इस दुनिया मे हर इंसान के जन्‍म के साथ कई रिस्‍ते जुड जाते है जब एक बच्‍चा जन्‍म लेता है तो सबसे पहले उस बच्‍चे को माता पिता मिलता है, साथ मे दादा दादी ,चाचा चाची ,नाना नानी ,मामा मामी और कई रिस्‍ते रहते है जिनके साथ बच्‍चे का संबंध जुड जाता है ।

                बच्‍चे के माता - पिता के साथ उनके सभी रिस्‍तेदार उस छोटे से बच्‍चे को बडे होते देखते है और खुश होते है कि हमारे बच्‍चा बडा हो रहा है ।

             बच्‍चा जब बढने लगता है तब वह धीरे धीरे सब रिस्‍तेदारो का पहचानने लगता है और उन्‍ही रिस्‍तेदारो के साथ हंसते खेलते अपने जीवन की यात्रा प्रारंभ करता है ।

             जब वह बच्‍चा कुछ सोचने समझने लगता है तब उन्‍ही रिस्‍तेदारो मे से कुछ दूर के रिस्‍तेदारो से उस बडे हो रहे कुछ समझने वाला बच्‍चा से रिस्‍ता कुछ धुंधला सा होने लगता है ।

               जब बच्‍चा जवान हो जाता है तो उसकी सोचने समझने की शक्ति इतनी बढ जाती है कि उसके आसपास के रिस्‍तेदारो मे गुणा भाग करना सीख जाता है ।

              वही बच्‍चा जब पूर्ण रूप से बडा हो जाता है और उसकी शादी हो जाती है तब वही आदमी अपने जीवन अपने पत्नि बच्‍चो  के  लिये इतना गणितग्‍य बन जाता है कि वह अपने जीवन मे आगे बढने और धन कमाने के लिये अपने माता-पिता को भी घटाना सीख जाता है ।

               जब वह इंसान एक रात अकेले मे बैठ कर अपने जीवन के गुणा भाग को बारीकी से समझता है तब वह उसे ध्‍यान आता है कि मैने इस जीवन मे बडा होने के बाद केवल रिस्‍तो को घटाना सीखा है और ये दुनिया मे सभी जानते है कि घटाने से हमेशा अपने पास रखी कोई भी चीज हो धन धौलत,सोना चांंदी ,या फिर अपने रिस्‍तेदार सभी घट कर कम हो जाते है जिसकी महत्‍ता अंतिम मे पता चलता है कि हमारे पास कितना बचा ।

                जीवन और गणित के सूत्रो मे काफी अन्‍तर होता है क्‍योकि गणित के सूत्रो को बनाने के लिये मजबूत दिमाग की जरूर होती है तो दूसरी तरफ रिस्‍ते को बनाने के लिये खुश‍ मिजाज दिल की आवश्‍यकता होती है ।

               दुनिया मे प्राय: देखा गया है कि लोग बहुत बडे गणितग्‍य रहते है पर वह अपने रिस्‍तेदारो की अहमियत को नही समझ पाता जिससे वह अपने जीवन मे केवल अपने गणित को लेकर गुणा भाग करते रहता है ।

             इस दुनिया मे गणितग्‍य वह होता है जो अपने रिस्‍तेदारो की गुणा भाग नही करता बल्कि उस रिस्‍ते मे "मान‍ लिया जाय" जैसे गणितिय सूत्रो का उपयोग करता है ।

               इस आर्टिकल रिस्‍तो की अहमियत से यह पता चलता है कि यदि इंसान कितना भी विद्वान हो यदि उसने अपने रिस्‍तो का अहमियत नही जाना जो वह केवल नाम का ही विद्वान है । परन्‍तु जो आदमी अपने जीवन काल मे रिस्‍ते जोडना और रिस्‍तेदारो की अहमियत को समझता है उसे अपने साथ लेकर चलता है । वही महान होता है ।