ठोकर लगने से ही मिलती है सबक

इस संसार मे जब जब इंसान को ठोकर लगा है तब तब सबक सही मिला है जीवन मे हर किसी को ठोकर लगती है, चाहे वह व्‍यक्तिगत जीवन हो या व्‍यापारिक सफलता ।ठोकर लगना जीवन की एक समान्‍य और साधारण तथ्‍य है,लेकिन इसका महत्‍व उसके प्रतिकूलताओं और संघर्षो मे छिपा होता है। यह हमें सिखाता है कि कैसे हम अपनी गिरावटों से उबर सकते है, कैसे हम अपने दोषो को स्‍वीकार कर सकते हैं और अगले कदम की दिशा मे बढ़ सकते हैं।

5/12/20241 मिनट पढ़ें

नमस्‍कार दोस्‍तो मै अपने वेबसाईट मे आप सभी का स्‍वागत करता हूं। दोस्‍तो आज हम इंसान को समय के द्वारा दिये जाने वाले ठोकर के बारे मे बात करने वाले है। बड़े-बूढ़े हमेशा कहते रहते है कि ठोकर लगने से ही मिलती है सबक । ठोकर लगने से हमे जीवन मे कई महत्‍वपूर्ण सबक मिलते हैं। यह सबक हमें मजबूत बनाते हैं और हमें अपने लक्ष्‍य की ओर आगे बढ़ने मे मदद करते हैं। ठोकर लगना एक अनिवार्य अनुभव है जो जीवन की वास्‍तविकता से निपटने की कला सिखाता है। इस आर्टिकल मे हम ठोकर लगने के महत्‍व को समझेंगे और इससे सीखे जानें वाली बातों पर ध्‍यान देंगे।

ठोकर लगने का महत्‍व:-

जीवन मे हर किसी को ठोकर लगती है, चाहे वह व्‍यक्तिगत जीवन हो या व्‍यापारिक सफलता ।ठोकर लगना जीवन की एक समान्‍य और साधारण तथ्‍य है,लेकिन इसका महत्‍व उसके प्रतिकूलताओं और संघर्षो मे छिपा होता है। यह हमें सिखाता है कि कैसे हम अपनी गिरावटों से उबर सकते है, कैसे हम अपने दोषो को स्‍वीकार कर सकते हैं और अगले कदम की दिशा मे बढ़ सकते हैं।

सीखें और आगे बढ़े :-

जब हमें ठोकर लगती है तो हमें अपनी गलतियों का अनुभव होता हैऔर हम सीखते हैं कि आगे कैसे बढ़े। इस अनुभव से हम अपने अधिकारों और क्षमताओं को पहचानते हैं और हमें अपने स्‍वयं की सीमाओं को समझने का मौका मिलता है। ठोकर लगने के बाद हमें एक नई दिशा की तलाश करने की प्रेरणा मिलती है और हम अपने लक्ष्‍य को पुन:तैयार करते हैं।

निरंतरता का महत्‍व :-

ठोकर लगना जीवन का अभिन्‍न हिस्‍सा है, और यह हमें सिखाता है कि जीवन मे सफलता प्राप्‍त करने के लिये निरंतरता की कितनी महत्‍वपूर्ण भूमिका होती है। संघर्षो और ठोकरों के बावजूद भी जो व्‍यक्ति निरंतरता और समर्थता बनाएं रखता है ,वही सफल होता है। ठोकर लगने के बावजूद भी यदि हम निरंतरता और समर्थता बनाये रखते है तो हम सफल हो सकते हैं।

संघर्षो से निपटना :-

ठोकर लगने के बावजूद हमें यह समझना चाहिए कि हर विफलता एक संघर्ष का हिस्‍सा है और यह हमें मजबूत बनाता है। जीवन मे सफलता प्राप्‍त करने के लिये ,हमें संघर्षो का सामना करना पड़ता है और इसका मतलब है कि हमें कभी हार नही माननी चाहिए। ठोकर लगने के बावजूद ,हमे उठना और आगे बढ़ना चाहिए।

निष्क्रियता से बचें :-

ठोकर लगने के बाद कुछ लोग निराश हो जाते है,और निष्क्रिय हो जाते हैं।लेकिन यह उनके लिये एक विपरीत प्रतिक्रिया होती है। इसके बजाय ,हमे उठना और आगे बढ़ना चाहिए हमें अपनी गिरावटों से सीखना चाहिए और उन्‍हे अपने लाभ मे परिणामित करने के लिये उपयोग करना चाहिए।

निष्क्रियता के बजाय सकारात्‍मकता :-

हमें यह समझना चाहिए कि ठोकर लगने के बाद निष्क्रिय होने से कुछ नही होगा। बल्कि हमें सकारात्‍मक होना चाहिए और उठना चाहिए। हमें अपने कमजोरीयों से सीखना चाहिए कि हम असफल कैसे हुये और उसे कैसे पूरा किया जा सकता है। इन्‍ही लक्ष्‍यों को लेकर आगे बढ़ने के लिये प्रतिबद्ध रहना चाहिए।

संजीवनी शक्ति :-

ठोकर लगने के बाद हमें संजीवनी शक्ति की आवश्‍यकता होती है। यह हमें अपने आत्‍म-विश्‍वास को फिर से प्राप्‍त करने मे मदद करता है और हमें आगे बढ़ने के लिये प्रेरित करता है। संजीवनी शक्ति का अर्थ है कि हम अपने आत्‍म-विश्‍वास को बढ़ाना चाहिए और जब आत्‍म विश्‍वास बढ़ेगा तब पुन: संघर्ष करने की शक्ति उत्‍पन्‍न हो जायेगी ।

इस प्रकार हर इंसान ठोकर लगने के बाद अपने आप को पुन: संघर्ष करने के लिये तैयार कर सकता है और अपने कार्यो मे सफलता प्राप्‍त कर सकता है। इंसान को ठोकर लगने पर किसी भी परिस्थितियों मे हार नही मानना चाहिए और न अपने उत्‍साह को कमजोर करना चाहिए। जब इंसान का मन उत्‍साहित रहेगा तभी अपनी गलतीयो को सुधार कर आगे बढ़ने का भरसक प्रयास करेगा ।