
इंसान मजबूर किस्मत के आगे
हर इंसान की कामयाबी हो या पतन हो परन्तु सब मे होता है खेल किस्मत का जब किस्मत खेल दिखाता है तो बडे बडे खिलाडी कमजोर पड जाता है चाहे वह खेल का खिलाडी हो या फिर जीवन का । एक बात तो तय है कि इंसान के साथ वही होता है जो किस्मत मे लिखा होता है चाहे आप बुद्धिमान हो या फिर धनवान कार्य करवाने का काम केवल और केवल किस्मत करती है ।



इंसान मजबूर किस्मत के आगे:
दोस्तो आज मै यहां पर किस्मत और तकदीर की बात करने वाला हू । यदि आप किस्मत और तकदीर को मानने वाले है तो आपको कुछ नया सीखने के लिये मिलेगा और यदि आप किस्मत या तकदीर को नही मानते तो फिर भाईया जी यहां आपको कुछ नही मिलेगा आप यह वेबसाइट छोडकर जा सकते है ।
किस्मत जीवन से क्या क्या करवाती है:
तो चलिये दोस्तो आगे बढते है और किस्मत और तकदीर के बारे मे जानते है कि कैसे यह किस्मत या तकदीर हमे कहां से कहां भेज देता है । यहां पर मै एक साधारण इंसान की किस्मत की कहानी बता रहा हूं एक गांव मे एक किसान के तीन बेटे थे जिसमे से दो बेटो की शादी हो चुकी थी और छोटा लडका कालेज की पढाई कर रहा था वह लडका पढाई के साथ साथ छोटे मोटे काम करता था जिससे उसे जो भी मजदूरी मिलती थी उसे घर के सामान लाने मे सहयोग करता था वह लडका अपने दोनो भाभीयो को अपनी मां की तरह मानता था जिस कारण से वह कभी कभी कमाये हुये पैसो से अपने भाभीयो के लिये चूडी,बिन्दी,पाउडर लाकर भी दे देता था । उस लडके के बडे भाई ने एक दिन अपने माता पिता से कहा कि छोटे भाई का शादी करा दो ज्यादा पढाने से कोई मतलब नही है उनके माता पिता उनकी बातो से सहमत हो गये और उस लडके को उसके पिता ने कहा कि बेटा अब मै तुमको आगे की पढाई नही करा सकता तुम शादी कर लो लडका सीधा साधा था उसने पिता की बात मान ली और शादी के लिये तैयार हो गया ।
कुछ माह बाद उस लडके की शादी हो जाती है । शादी के एक वर्ष तक सब ठीक रहता है जब उस व्यक्ति की एक बच्ची होती है तब उस लडके की मां उसे बोलती है कि बेटा तेरे बडे भाईयो का कहना है कि हम सब अलग रहेंगे और अपना अपना काम करेंगें तब उस व्यक्ति ने अपनी मां से बोला कि मां मै अभी बेरोजगार हूं और मुझे व तुम्हारी बहू को खेती बाडी का कोई काम नही आता है हम कैसे जीयेंगे तब उसकी मां बोली कि बेटा सब जी लेते है इस तरह बोलने के बाद उस किसान ने अपने तीनो लडको को अलग अलग कर दिया । जिस समय घर मे रखे कुछ सामानो का बटवारा हो रहा था घर का सार सामान बटवारा हो चुका था । छोटे लडके की पत्नि ने सोने का मंगलसूत्र पहनी थी उसे देखकर उस लडके के बडे भाई ने बोला कि इस मंगलसूत्र का भी बटवारा करो इसे भी पिता जी ने खरीदा है इस पर वहां पर उपस्थित गांव के बुजुर्ग लोग बोले कि बेटा यह तो मंगलसूत्र है इसका कैसा बटवारा परन्तु उस लडके के बडे भाई ने नही माना और उसकी पत्नि के मंगलसूत्र को तोडकर बटवारा किया गया । यह कार्य लोगो की बस की बात नही है ऐसा कार्य तो केवल और केवल उस इंसान की किस्मत ही करा सकती है और यहां पर उसी किस्मत ने ऐसा कराया । धन का बटवारा होने के बाद परिवार वाले उस व्यक्ति और उसकी पत्नि को अलग कर देता है । उस व्यक्ति के किस्मत मे माता पिता के साथ होने का सुख नही होता । वह व्यक्ति इसे अपने तकदीर का लिखा हुआ मानकर अपना जीवन जीने लगता है । उस व्यक्ति के पास जीवन जीने के लिये कोई साधन नही था जो उसके पास था उसकी बाजूओ का ताकत जिससे वह केवल मेहनत मजदूरी करता था धीर धीरे समय गुजरता जाता है और समय के साथ उस व्यक्ति का दूसरा बच्चा भी हो जाता है और व्यक्ति अपने पत्नि बच्चो के साथ अपना जीवन यापन करने लगता है । वह व्यक्ति खूब मेहनत करता था ताकि अपने परिवार को किसी तरह से जिन्दा रख सके उनको मालूम था कि किस्मत से कोई नही जीत सका है । इसलिये उस व्यक्ति का मन अपने परिवार को कैसे पाला जाये इस विषय पर काम करता था ।
शादी के 6 वर्ष बीतने के बाद उस इंसान का पुलिस विभाग मे आरक्षक के पद पर नौकरी लगता है तब वह व्यक्ति नौकरी का ट्रेनिग के लिये बाहर जाता है घर पर उसकी पत्नि और दो छोटे छोटे बच्चे गांव मे ही रहते थे जहां पर उस व्यक्ति का पूरा परिवार रहता था परन्तु किस्मत ने ऐसा खेल खेला कि उस व्यक्ति के ट्रेनिग मे जाने के बाद भी उसकी पत्नि बच्चो का उसके परिवार वाले कोई ध्यान नही देते थे दो छोटे छोटे बच्चो के साथ उस व्यक्ति की पत्नि अपना जीवन अपने पति के आने की इंतजार मे गुजार रही थी कभी बच्चो का स्वास्थ्य खराब होता था तो उस व्यक्ति की पत्नि अकेले ही अपने दोनो बच्चो को लेकर पैदल उनके ईलाज के लिये जाती थी कोई उनके साथ उस परेशानी मे खडा नही होता था इस बीच कभी कभी उस व्यक्ति की पत्नि और उनके परिवार वालो के साथ कभी किसी बात को लेकर वाद विवाद होता था तो उस व्यक्ति की पत्नि को उनके परिवार वाले बोलते थे कि तुम्हारा पति तो ट्रेनिग करने गया है तो तुमको अपने साथ क्यो नही ले गया तुम भी हमारे घर से चली जाओ हम लोगो को तुमसे और तुम्हारे बच्चो से कोई मतलब नही है इसके बावजूद भी उस व्यक्ति की पत्नि बेचारी सब कुछ सुनकर बेशर्म की तरह रहती थी । यह सब खेल किस्मत ने ही रचा था जिसको तो होना ही था ।
दोस्तो जब वह व्यक्ति को उसके परिवार वालो ने अलग किया उसके बाद से परिवार के साथ साथ सभी रिस्तेदार धीरे धीरे करके उस व्यक्ति से रिस्ता तोडना शुरू कर दिये और एक दिन ऐसा समय आ गया कि उसे राखी बांधने वाली बहन भी उसे राखी बांधना बंद कर दिया । अब मेरे दोस्तो को यहां पर लग रहा होगा कि जरूर उस व्यक्ति मे ही कोई खराबी रहा होगा इसीलिये पूरे परिवार यहां तक रिस्तेदारो ने साथ छोडा था । पर ऐसा नही था वह व्यक्ति हमेशा अपनी जिम्मेदारीयो को अच्छे से निभाता था ये जो हो रहा था सब उसके किस्मत या तकदीर के अनुसार हो रहा था और आप सब यह जानते ही है कि किस्मत के आगे सभी मजबूर होते है ।
चलिये आगे बढते है समय धीरे धीरे बीतता गया और 14 महिनो की ट्रेनिंग के बाद अन्त मे वह दिन आ ही गया कि जब उस व्यक्ति का पुलिस ट्रेनिग समाप्त हुआ और उसकी तैनाती एक थाने मे हुई फिर वह व्यक्ति अपने पत्नि बच्चो को अपने साथ ले गया और अपना नौकरी करने लगा । करीब 2 वर्ष तक उस व्यक्ति के परिवार के यहां तक की उसके माता पिता ने भी उससे कोई मतलब नही रखा । परन्तु वह व्यक्ति हमेशा अपने परिवार वालो के भलाई के लिये सोचता रहा । वह व्यक्ति जब भी अपने माता पिता से मिलने जाता अपने बडे भाईयो और भाभीयो एवं उनके बच्चो तथा अपने माता पिता के लिये कुछ न कुछ लेकर जरूर जाता था ।
वह व्यक्ति जिसे पूरे परिवार ने ठुकरा दिया था उससे आज उनके हर रिस्तेदार मदद मांगते है जिनका वह व्यक्ति जितना हो सकता है मदद करता है परन्तु उस व्यक्ति का किसी ने कोई मदद नही किया । इसे भी वह इंसान अपनी किस्मत का लिखा कहकर अपने पत्नि बच्चो के साथ जीवन जी रहा है ।
तो दोस्तो अब आप तो समझ ही गये होंगे कि जब किस्मत खेल दिखाता है तो बडे बडे खिलाडी कमजोर पड जाता है चाहे वह खेल का खिलाडी हो या फिर जीवन का । एक बात तो तय है कि इंसान के साथ वही होता है जो किस्मत मे लिखा होता है चाहे आप बुद्धिमान हो या फिर धनवान कार्य करवाने का काम केवल और केवल किस्मत करती है ।
धन्यवाद दोस्तो । यह आर्टिकल मेरे एक दोस्त की जीवन की सच्ची कहानी है जिसका मै नाम नही बताना चाहता और वह इंसान वर्तमान समय मे अपना नौकरी कर रहा है ।