अक्‍सर वही दिये हाथों को जला देते हैं:जब अपनों से ही मिलती है चोट

हम जिन अपनों को हर तूफान से बचाते हैं, वही अकसर हमारे जख्‍मों की वजह बन तो हैं। इस लेख में पढ़‍िए विश्‍वासघात, उम्‍मीद और आत्‍मचिंतन की एक गहराई से भरी कहानी।

हरीश साकत

7/12/20251 मिनट पढ़ें

जीवन सत्‍य
जीवन सत्‍य

अक्‍सर वही दिये हाथों को जला देते हैं,गहराई से भरा एक जीवन सत्‍य

भूमिका-जब अपनों से ही दर्द मिले

हम जीवन में कई रिश्‍तों को दिल से निभाते हैं। उन्‍हें बचाने के लिए हर तूफान से लड़ते हैं, उनकी हर मुश्किल को अपनी लत बना लेते हैं। लेकिन जब वही लोग विश्‍वास तोड़ते हैं, तो दर्द शब्‍दों से परे होता है। इस लेख में हम समझेंगे कि क्‍यों ऐसा होता है, और इससे उबरने के रास्‍ते क्‍या हो सकते हैं।

जब अपनों से ही दर्द मिले
जब अपनों से ही दर्द मिले

'दीया' और 'हवा' का प्रतीकात्‍मक अर्थ

दीया-प्रेम,विश्‍वास और उम्‍मीद

दीया इस लेख में एक प्रतीक है उस रिश्‍तें का, जिसे हम दिल से निभाते हैं। हम इसे जलाकर रखते हैं, रोशनी की उम्‍मी में। यह दीया एक दोस्‍त हो सकता है, जीवनसाथी,भाई,बहन या फिर कोई अपना।

हवा-दुनिया की परेशानियॉं

हवा का मतलब है जीवन की मुश्किलें,समाज की बातें,गहरी दबाव। जब हम इन हवाओं से अपनें रिश्‍ते को बचाने की कोशिश करते हैं, तो हम उम्‍मीद करते हैं कि वह दीया हमारा साथ देगा।पर...

जब अपना ही दीया हाथ जला दे

विश्‍वासघात का तीखा घाव

सबसे बड़ा दर्द तब होता है जब कोई अपना ही हमें धोखा दें। जिसे हम बचा-बचाकर रखतें हैं, वह जब हमारी भावनाओं को कुचलता है, तो विश्‍वास का आधार ही हिल जाता है।

उम्‍मीदें जब टूटती हैं

हम अपनों से ज्‍यादा उम्‍मीद करते हैं- क्‍योंकि हम उनसे जुड़ाव महसूस करते हैं। जब वहीं उम्‍मीदें चकनाचूर होती हैं, तो इंसान भीतर से टूट जाता है।

जब अपना ही दीया हाथ जला दे
जब अपना ही दीया हाथ जला दे

इस पीड़ा से कैसे उबरें?

आत्‍मचिंतन करें-क्‍यों चोंट लगी

इस दर्द से उबरने के लिए पहले यह समझना जरूरी है कि हमने खुद को इतना क्‍यों खो दिया था। क्‍या हमने अपनी सीमाएं लांघ दी थीं? क्‍या हमने जरूरत से ज्‍यादा भरोसा किया था?

सीमाओं को समझें

रिश्‍तों में प्‍यार जरूरी है, लेकिन सीमाएं भी जरूरी हैं। हर दीये को बचाना आपकी जिम्‍मेंदारी नहीं हैं। खुद को जलाकर किसी और को रोशन करने की कीमत आपको खुद नहीं चुकानी चाहिए।

माफ करना,पर भूलना नहीं

माफ करना आत्‍मा को शांति देता है, लेकिन हर बार भूल जाना मूर्खता हो सकता है। अनुभवों से सीखें। दोबारा उसी दीये को हाथ में लेने से पहले सोचें।

क्‍यों चोंट लगी
क्‍यों चोंट लगी

क्‍या सभी दीये ऐसे होते हैं?

नहीं,हर कोई ऐसा नही होता

यह जीवन का कड़व सच है कि कुछ लोग आपको तकलीफ देंगें। लेकिन इसका मतलब नहीं कि सब लोग वैसे हैं। कुछ दीये आपकी राह भी रोशन करेंगें-बिना जलाए।

भरोसे की नई शुरूआत

विश्‍वास एक बार टूटे तो उसे दोबारा बनाना मुश्किल होता है। पर वक्‍त के साथ, सही लोगों के साथ,फिर से भरोसा किया जा सकता है। सही व्‍यक्ति न केवल आपके दीये को जलने देगा, बल्कि उसे बचाएगा भी।

यह अनुभव हमें क्‍या सिखाता है?

आत्‍मसम्‍मान की अहमियत

किसी रिश्‍ते से बड़ा आपका आत्‍म सम्‍मान है। जो लोग आपकी भावनाओं की कद्र नहीं करते, उनके लिए खुद को दर्द में डालना मूर्खता है।

संतुलन बनाना सीखें

जीवन में संतुलन जरूरी है- भावना और बुद्धि का। केवल भावना से जीने से आप बार-बार टूटेंगें। जब तक आप खुद को प्राथमिकता नही देंगें, तब तक लोग आपको हल्‍के में लेंगे।

आत्‍म सम्‍मान की अहमियत
आत्‍म सम्‍मान की अहमियत

निष्‍कर्ष-अब क्‍या करें?

  • अपने दिल को वक्‍त दीजिए।

  • खुद से संवाद कीजिए।

  • टूटे हुए भरोसे से सीखिए।

  • नए लोगों को मौका दीजिए-पर होशियारी के साथ।

दिल का वक्‍त दीजिए
दिल का वक्‍त दीजिए