
मन की चंचलता
इंसान का मन बहुत चंचल होता है जिसे यदि नियंत्रण मे नही किया जाता है तो वह इंसान को कभी कभी उसके मार्ग से भटका सकता है । मन की चंचलता एक ऐसी प्राकृतिक गुणवत्ता है जो हर व्यक्ति के मानसिक स्वास्थ्य को प्रमाणित कर सकती है । यह एक समान्य स्थिति है जिसमें व्यक्ति का मन अनियंत्रित होता है और उसे ऊंच और नीच की भावनाओं के साथ संबोधित करने मे कठिनाई होती है मन चंचलता के कारण व्यक्ति अपने लक्ष्यो की प्राप्ति मे भी कठिनाई महसूस कर सकता है और इससे उसका सामाजिक जीवन भी प्रभावित हो सकता है ।



मन की चंचलता एक ऐसी प्राकृतिक गुणवत्ता है जो हर व्यक्ति के मानसिक स्वास्थ्य को प्रमाणित कर सकती है । यह एक समान्य स्थिति है जिसमें व्यक्ति का मन अनियंत्रित होता है और उसे ऊंच और नीच की भावनाओं के साथ संबोधित करने मे कठिनाई होती है मन चंचलता के कारण व्यक्ति अपने लक्ष्यो की प्राप्ति मे भी कठिनाई महसूस कर सकता है और इससे उसका सामाजिक जीवन भी प्रभावित हो सकता है ।
इंसानो का मन चंचल कैसे हो जाता है :-
इंसानो का मन कई कारणों से अधिक चंचल हो जाता है जैसे- यदि इंसान को किसी बात को लेकर अधिक चिंंता होती है तो मन उस चिंता मे घिर कर उसका समाधान ढूंढने के लिये अधिक चंचल हो जाता है ।
अव्यवस्थित जीवनशैली का होना :-
यदि किसी इंसान का जीवन जीने का ढंंग बिखरा हुआ है जिसके जीवन मे कोई भी कार्य सुचारू ढंग से नही चल रहा होता है ऐसे व्यक्तियो का मन बहुत चंचल हो जाता है और उस अव्यवस्थित जीवनशैली को जल्द से जल्द व्यवस्थित करना चाहता है ।
मानसिक स्वास्थ्य समास्याएं :-
यदि किसी इंसान का दिमागी हालत ठीक नही होता है तब भी उसका मन बहुत चंचल हो जाता है उसका चंचल मन इधर उधर की बाते ही सोचता है जिससे इंसान अपने मूल लक्ष्यो तक पहुंचने मे काफी कठिनाईयों का सामना करता है ।
मन की चंचलता को कैसे नियंत्रण किया जा सकता है :-
जब इंसान का मन अधिक चंचल हो जाये तब इंसान अपने आत्मसमर्पण और सामंजस्य का बेहतर कर चंचल मन की शांति के लिये ध्यान और योग करना चाहिए ।
चंचल मन को नियंत्रित करने के लिये सकारात्मकता ,समर्थन, और संबंधो की भमिका महत्वपूर्ण होती है। सकारात्मक मानसिकता और सहारा चंचल मन को स्थिरता प्रदान करने मे सहायक होता है तथा उसे जीवन के पहलूओ का सामना करने मे काफी मदद मिलती है ।
इंसान को अपने विचारो को सही दिशा मे प्रवृत्त करने के लिलिये स्वयं से पूछना चाहिए और अपने निजी विकास के माध्यम से मन की चंचलता को कम करने का प्रयास करना चाहिए ।
इस प्रकार से इंसान का चंचल मन इंसान को फायदे और नुकसान देता है इसलिये इंसान को चाहिए को अपने मानसिक स्वास्थ्य का सही से ध्यान रखें और एक स्वस्थ्य और संतुलित जीवनशैली का अनुकरण करने से व्यक्ति अपने मन को सांत्वाना और शांत रख सकता है । यदि मन संतुलन मे रहेगा तो कोई भी इंसान अपने लक्ष्य से भटक नही सकता ।
जब इंसान का मन चंचल हो जाता है तो उस चंचल मन के कई फायदे और कई नुकसान हो सकते है ।
मन चंचल होने के फायदे :-
सृष्टिकौशल :-यदि किसी इंसान का मन चंचल हो जाता है तो इस अवस्था मे भी चंचल मन उस व्यक्ति की सृष्टिकला मे सुधार कर सकता है जिससे नई विचारो की राहें दिखाई देने लगता है ।
उत्साह और साहस :-जब इंसान का मन अधिक चंचल हो जाता है तब वह इंसान के अन्दर एक अदभूत उत्साह और साहस भर देता है जिससे इंसान अपने कार्यो के प्रति अधिक सकारात्मक दृष्टिकोण रखकर कार्य करता है ।
समास्याओं का समाधान :- जब इंसान का मन चंचल होता है तो वह अनेक समास्याओ का समाधान निकाल सकता है क्योकि चंचल मन इंसान को समाधान के लिये नई और स्वतंत्र दृष्टिकोण प्रदान कर सकता है ।
सामाजिक संबंधो का विकास :-जब इंसान का मन चंचल होता है तो वह चंचल मन अनेक प्रकार से सोचना शुरू कर देता है जिससे इंसान समाज मे हर किसी से मेल जोल या बातचीत करता है इससे उस इंसान की समाज मे संबंध बनने लगते है क्योकि चंचल मन इंसान को एक नये दृष्टिकोण प्रदान करता है ।
मन चंचल होने के नुकसान :-
अस्थिरता:- जब इंसान का मन चंचल हो जाता है तो व्यक्ति की भावनांओ और उनके विचारो मे एक अलग तरीके का शिथिलता आने लगता है जिससे उनकी जीवन की कार्यो पर अस्थिरता उत्पन्न होने लगती है ।
तनाव एवं असुरक्षा :- मन चंचल होने से वह इंसान को तनाव मे डाल सकता है जिससे इंसान सोचने समझने मे असहाय महसूस कर सकता है तथा अपने भावनाओं को सही तरीके से नियंत्रण नही कर पाता है ।
कार्य करने की क्षमता मे कमी :-जब इंसान का मन अधिक चंचल हो जाता है तब उस इंसान की कार्य करने की क्षमता मे कमी आ सकती है क्योकि चंचल मन होने से कार्य के प्रति सोच बार बार बदलते रहता है जिससे ध्यान केन्द्रित रखना मुश्किल हो सकता है ।
स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं :- इंसान का मन चंचल होने से व्यक्ति को स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं हो सकती है जैसे अनिद्रा , मानसिक तनाव, थकान आदि ।