
लोगो में समानता
लोगो मे आपसी समानता का विशेष महत्व समानता का अर्थ सिर्फ विभिन्न समुदायों के लोगो के लिये वस्त्र,जाति,धर्म,लिंग,या विभिन्न विशेषताओं मे होना नही है । यह यहां तक की शिक्षा,स्वास्थ्य,रोजगार और सार्वजनिक विभागों मे भी समान होना चाहिए ।


समानता का अर्थ सिर्फ विभिन्न समुदायों के लोगो के लिये वस्त्र,जाति,धर्म,लिंग,या विभिन्न विशेषताओं मे होना नही है । यह यहां तक की शिक्षा,स्वास्थ्य,रोजगार और सार्वजनिक विभागों मे भी समान होना चाहिए ।
समाज मे समानता की आवश्यकता साफ रूप से देखी जा सकती है क्योकि यह एक स्थिति को निष्पक्षता से निर्धारित करता है,जो लोगो को विकास की सही दिशा मे ले जाता है। अधिक से अधिक लोगो को उचित शिक्षा,स्वास्थ्य सेवाएं और अवसर प्राप्त करने का अधिकार होना चाहिए ।
भारत मे समानता के सिद्धांत के लिए लगातार प्रयास किये जा रहे है । विभिन्न योजनाओं के माध्यम से सरकार ने गरीबी और विभाजन के खिलाफ लड़ाई मे महत्वपूर्ण कदम उठाए हैं । इसके अलावा शिक्षा और स्वास्थ्य सेवाओं तक पहुंच मे समानता को बढ़ावा देने के लिये प्रयास किये जा रहे है।
विपरीत समाज मे समानता की कमी से अनेक समस्याएं उत्पन्न होती है ।गरीबी,विवाह,विच्छेद,न्याय और अन्य अन्याय से लड़ते समाज के अलग-अलग वर्ग,जाति और समुदायों के लोग अधिक प्रभावित होते है ।
समानता का महत्व बढ़ाने के लिये हमें समाज मे शिक्षा ,जागरूकता और सामाजिक परिवर्तन के प्रति समर्पित रहना चाहिए । समाज के हर व्यक्ति को इसे अपनाने की जिम्मेदारी लेनी चाहिए,ताकि हम सभी एक समृद्ध,सम्मान और समृद्ध समाज का निर्माण कर सके ।
समानता का मानव समाज मे महत्व अविच्छिन्न रूप से है। यह सिर्फ न्याय का मामला नही है बल्कि यह एक सामर्थ्यपूर्ण स्थायी समाज के निर्माण की आधारशीला है इसलिये हमें समानता के प्रति आदर्श बनाएं रखना और उसे प्रोत्साहित करना आवश्यक है ।
नमस्कार दोस्तो,
भारतीय समाज मे समानता की अहमियत के विषय मे विस्तृत लेख का आरंभ करते है पहले हमें समानता का अर्थ स्पष्ट करना होगा। समानता एक ऐसा सिद्धांत है जो सभी व्यक्तियों का समान अधिकारों,अवसरों और मौका की प्राप्ति का अधिकार प्रदान करता है । यह विशेष रूप से राजनैतिक,सामाजिक और आर्थिक संदर्भो मे महत्वपूर्ण होता है ।