"काम की दुनिया में इंसान की असली कीमत: जब तक जलते रहो तभी तक पूछे जाओगे"

जब तक इंसान उपयोगी है, समाज उसकी कद्र करता है। पर जैसे ही उसकी उपयोगिता खत्‍म होती है, वह उपेक्षित हो जाता है। इस लेख में पढ़‍िए, इस कड़वी सच्‍चाई की गइराई और इससे कैसे निपटें।

Harish sakat

5/17/20251 मिनट पढ़ें

कड़वी सच्‍चाई
कड़वी सच्‍चाई

तभी तक पूछे जाओगे जब तक काम आओगे:कड़वी सच्‍चाई या समाज का स्‍वार्थ?

परिचय:इंसान और उसकी उपयोगिता का संबंध

हर इंसान की अपनी एक अ‍हमियत होती है, लेकिन जब समाज उसकी उपयोगिता को ही उसका मूल्‍य बना देता है, तो इंसान का अस्तित्‍व केवल काम तक सीमित होकर रह जाता है। यह लेख उसी विचारधारा को उजागर करता है- जब तब आप कुछ कर सकते हैं, तब तक ही आप जरूरी हैं।

इंसान की उपयोगिता
इंसान की उपयोगिता

चिरागों के जलते ही तीलियां क्‍यों बुझा दी जाती है?

प्रतीकात्‍मक अर्थ

इस पंक्ति में जीवन की गहराई छिपी है। जब तक एक चिराग नहीं जलता, तब तक उसे जलाने के लिए तीली की जरूरत होती है। लेकिन जैसे ही चिराग जल उठता है, तीली को फेंक दिया जाता है। यह उस समाज का प्रतीक है जो लोगो को सिर्फ उनकी जरूरत के हिसाब से महत्‍व देता है।

आज की दुनिया में उपयोगिता ही पहचान

आज के समाज में इंसान की पहचान उसके योगदान से होती है। जब तक आप किसी के लिए फायदेमंद हैं, तब तक आपकी कद्र है। लेकिन जैसे ही आपकी भूमिका खत्‍म होती है,लोग आपको भूलने लगते हैं।

पारिवारिक दृष्टिकोण

कई बार यह सच्‍चाई हमें अपने ही घरों में देखने को मिलती है। बुजुर्ग माता-पिता जब तक कमाते हैं, तब तक उनकी बात सुनी जाती है। जैसे ही वे रिटायर होते हैं,उन्‍हें बोझ समझा जाने लगता है।

कार्यस्‍थल पर व्‍यवहार

ऑफिस में भी यही हाल है। जब तक आप टारगेट्स पूरे कर रहे हैं, तब तक तारीफें मिलती हैं। जैसे ही आप थोड़ी कमजोरी दिखाएं, आपकी जगह किसी और को लाने की बात होने लगती है।

इतिहास के उदाहरण:जब महान लोग उपेक्षित हो गए

  • कबीर दास: जिनकी वाणी ने समाज को दिशा दी,उन्‍हें उनके जीवनकाल में ही अनदेखा कर दिया गया।

  • मीराबाई: कृष्‍ण भक्ति में लीन मीराबाई को उनके ही घरवालों ने त्‍याग दिया क्‍योंंकि वह काम की नहीं रहीं।

इतिहास के उदाहरण
इतिहास के उदाहरण

हम इससे क्‍या सीख सकते हैं?

आत्‍मनिर्भर बनो, आत्‍मसम्‍मान मत खोओ

दूसरों के लिए जीना अच्‍छा है, लेकिन अपनी कद्र करना और आत्‍मसम्‍मान बनाए रखना जरूरी है। जब लोग आपको केवल काम से पहचानें, तो खुद को याद दिलाइए कि आपकी असली पहचान आपके अस्तित्‍व में है, न कि उपयोगिता में।

रिश्‍तों को समझदारी से निभाएं

सिर्फ उन्‍ही लोगों पर विश्‍वास करें जो अच्‍छे और बुरे दोनों समय में साथ दें। जो लोग आपको सिर्फ तब याद करते हैं जब उन्‍हें आपकी जरूरत होती है, उन्‍हें पहचानिए और खुद को व्‍यर्थ मत कीजिए।

आत्‍मनिर्भर बनो
आत्‍मनिर्भर बनो

समाज को क्‍या बदलने की जरूरत है?

समाज को यह समझने की जरूरत है कि इंसान सिर्फ एक संसाधन नही है,बल्कि वह एक भावनात्‍मक,विचारशील और आत्‍मा से भरा हुआ प्राणी है। हर व्‍यक्ति की कद्र उसकी उपयोगिता से नहीं,बल्कि उसके होने से होनी चाहिए।

समाज को समझने की जरूरत
समाज को समझने की जरूरत

निष्‍कर्ष:खुद को पहचानो,खुद को संभालो

यह सच्‍चाई कड़वी है लेकिन अनदेखी नहीं की जा सकती-तभी तक पूछे जाओगे जब तक काम आओगे। लेकिन अगर हम आत्‍मनिर्भरता, आत्‍म-सम्‍मान और आत्‍म-जागरूकता को अपनाएं, तो हम इस दुनिया में सिर्फ एक 'तीली' नहीं रहेंगे जिसे जरूरत के बाद फेंक दिया जाए।